मिलावट का ज़माना है???? - AN OVERVIEW

मिलावट का ज़माना है???? - An Overview

मिलावट का ज़माना है???? - An Overview

Blog Article

लोडिनिया रासायनिक घोल में दूध की एक बूंद डालें. यदि दूध की एक बूंद डालने पर मिश्रण नीला हो जाए तो समझ जाइए कि दूध में स्टार्च मिलाया गया है.

एनीमिया (रक्त अल्पता), अंधापन व गर्भपात

यह एक टेस्ट है जो शहद में पानी की उपस्थिति का पता लगाता है। एक माचिस की तीली को शहद में डुबोकर और फिर माचिस की डिब्बी से उसे जलाने की कोशिश करके फ्लेम परीक्षण किया जाता है। यदि आपका शहद शुद्ध है, तो माचिस आसानी से जल जाएगी। हालांकि, अगर आपका शहद मिलावटी है, तो माचिस की तीली जलाना मुश्किल हो सकता है। यदि आपके शहद में नमी की मात्रा कम होती है, तो यह टेस्ट गलत परिणाम दे सकता है।

वैसे तो दूध सबसे सेहतमंद पेय पदार्थों में से एक माना जाता है. इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन, कैल्शियम, प्रोटीन, नियासिन, फॉस्फोरस और पोटैशियम पाए जाते हैं. लेकिन आज के समय में बाजार में मिलने वाले दूध में तरह-तरह की मिलावट की जाने लगी है, जिससे इसकी पौष्टिकता पर नकारात्मक असर पड़ता है.

नमूने को एक गिलास पानी में मिलायें, चॉक पाउडर तल में एकत्रित हो जाएगा।

सिंथेटिक दूध का स्वाद कड़वा होता है. साथ ही अगर आप सिंथेटिक दूध की एक बूंद उंगली पर लेते हैं तो वह साबुन जैसी गंध आती है और गर्म करने पर दूध पीला हो जाता है.

सामान्यतः बाजार में उपलब्ध खाद्य पदार्थों में मिलावट का संशय बना रहता है। दालें, अनाज, दूध, मसाले, घी से लेकर सब्जी व फल तक कोई भी खाद्य पदार्थ मिलावट से अछूता नहीं है। आज मिलावट का सबसे अधिक कुप्रभाव हमारी रोजमर्रा website के जीवन में प्रयोग होने वाली जरूरत की वस्तुओं पर ही पड़ रहा है। शरीर के पोषण के लिए हमें खाद्य पदार्थों की प्रतिदिन आवश्यकता होती है। शरीर को स्वस्थ रखने हेतु प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन तथा खनिज लवण आदि की पर्याप्त मात्रा को आहार में शामिल करना आवश्यक है तथा ये सभी पोषक तत्व संतुलित आहार से ही प्राप्त किये जा सकते हैं। यह तभी संभव है, जब बाजार में मिलने वाली खाद्य सामग्री, दालें, अनाज, दुग्ध उत्पाद, मसाले, तेल इत्यादि मिलावटरहित हों। खाद्य अपमिश्रण से उत्पाद की गुणवत्ता काफी कम हो जाती है। खाद्य पदार्थों में सस्ते रंजक इत्यादि की। मिलावट करने से उत्पाद तो आकर्षक दिखने लगता है, परंतु पोषकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।

पपीते के बीज हल्के हरे व भूरे रंग के होते हैं तथा काली मिर्च का रंग गहरा काला होता है। काली मिर्च को पानी में डाल दें यदि पपीते के बीज हैं तो वह पानी में तैरने लगेंगे और काली मिर्च डूब जाएगी।

साथ ही दूध को उबालने के बाद पानी डालने की जरूरत नहीं होती है। उबालने के बाद यह गाढ़ा नहीं होता है। जब , दूध में स्टार्च होता है।

यह केमिकल काफी ज्यादा नुकसानदायक होते हैं. मिलावट की वजह से हल्दी की न केवल गुणवत्ता प्रभावित होती है बल्कि इससे स्वाद पर भी असर पड़ता है. हल्दी की मिलावट को बहुत ही आसानी से घर बैठे पहचाना जा सकता है. हथेली पर लेकर ऐसे करें पहचान

✨चाय की जांच करने के ल‍िए सफेद कागज को हल्‍का भ‍िगोकर उस पर चाय के दाने ब‍िखेर दीज‍िए। अगर कागज में रंग लग जाए तो समझ जाइए चाय नकली है क्‍योंक‍ि असली चाय की पत्‍ती ब‍िना गरम पानी के रंग नहीं छोड़ती।

कॉफी पाउडर को गीले ब्लॉटिंग पेपर पर छिड़क लें। इसके ऊपर पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड की कुछ बूंदे डालें। यदि कॉफी के आसपास उसका रंग भूरा हो जाये तो समझ लेना चाहिए कि उसमें मिलावट है।

हल्दी में होने वाली सिंथेटिक कलर, स्टार्च और पीले साबुन की मिलावट से पेट संबंधी समस्याओं सामना करना पड़ता है यहां तक की कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी हो सकती है. आईए जानते हैं घर बैठे कैसे हल्दी में मिलावट की पहचान की जा सकती है.

खाद्य अपमिश्रण जाँच के आसान परीक्षण[मृत कड़ियाँ] (डॉ॰ अनुपमा सिंह एवं डॉ॰ मानविका सहगल)

Report this page